सतीश शर्मा, न्यूज राइटर, जगदलपुर, 24 मार्च, 2023
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में दुर्लभ प्रजाति का हिरण मिला है। इसका रंग सुनहरा लाल है। यह हिरण छत्तीसगढ़ के एकमात्र नेशनल पार्क कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मिला है। यह दुर्लभ प्रजाति का हिरण यहां लगे कैमरे में ट्रैप हुआ है। खास बात यह है कि यह हिरण दुर्लभ प्रजाति का है। इसके चार सींग होते हैं, जिसके चलते इसे चौसिंग कहते हैं।
नेशनल पार्क कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में एक बार फिर दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव देखे जाने से वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों में खुशी का माहौल है। दरअसल चौसिंगा चार सिंग वाला स्तनपाई जीव हिरण है, जो मूल रूप से भारत और नेपाल में पाया जाता है। हालांकि यह छत्तीसगढ़ में पहली बार दिखा है।
बताया जा रहा है कि पार्क प्रबंधन ने हिरणों के बफर जोन में ट्रैप कैमरा लगाकर रखा है और शनिवार को इस कैमरे में चौसिंगा की फोटो कैद हुई है, अब पार्क प्रबंधन इस बात का भी पता लगा रहा है कि चौसिंगा की संख्या एक या एक से ज्यादा है।
कांगेर वैली नेशनल पार्क के अंदर बफर जोन में लगाए गए ट्रैप कैमरे में एक चौसिंगा की तस्वीर कैद हुई है ,चौसिंगा को अंग्रेजी में फोर हॉर्नड एंटीलोप कहा जाता है, जो प्रायः भारत और नेपाल में पाए जाने वाला हिरण होता है, इस परिवार के अन्य सदस्यों में दो सींग होते हैं जबकि इसके 4 सींग होते हैं, यह सुनहरे हल्के लाल रंग और भूरे रंग के होते हैं।
वन विभाग के अफसरों के मुताबिक, इसकी ऊंचाई 22 से 25 इंच और अधिकतम 22 किलो का वजनी वन्यजीव होता है, इसके एक जोड़ी सींग दोनों कान के बीच में, जबकि दूसरे जोड़ी सींग आगे की ओर होते हैं, पीछे वाले सींग आगे की अपेक्षा बड़े होते हैं। यह मुख्य रूप से घास, शाक, छोटी झाड़ियों के पत्ते, फूल और फल खाते हैं। वयस्क मादा चौसिंघा एक बार मे एक या दो बच्चों को जन्म देती है।
चौसिंगा हिरणों की सभी प्रजातियों में बहुत खूबसूरत और शर्मिला प्राणी है। यह दिन में लोगों को देखकर घास में छुप जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टेटासेरस क्वाड्रिकारनिस है। इसकी ऊंचाई मात्र दो फीट और लंबाई एक मीटर होती है। यह दिनचर व एकांत प्रिय प्राणी है। कभी-कभी किशोर चौसिंगा के साथ तीन से चार की संख्या में देखे जा सकते हैं।